हमारे लिए महापुरुष होने की कसौटी है ऐसा व्यक्तित्व जिसने मूलनिवासियों के पक्ष में संगर्ष किया हो और उसका मूलनिवासियों पर अनुकूल असर पड़ा “जिस समाज का इतिहास नहीं होता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है . जो समाज अपने इतिहास से भी सबक नहीं सिखाता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है . जो समाज अपने बहुजन महापुरुषों के आंदोलन से भी सबक नहीं सिखाता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है . जो समाज अपने बहुजन महापुरुषों के उद्देश्य स्वतंत्रता, समानता,नैतिकता, भाईचारा और न्याय को प्रस्थापित करने की कोशिश नहीं करता हैं, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है . जो समाज अपने बहुजन महापुरुषों कि विचारधारा “बहुजन हीताय बहुजन सुखाय ” पर नहीं चलता है, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता है . क्योंकि अपने बहुजन महापुरुषों के आंदोलन के उद्देश्य और
विचारधारा से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है -“
No comments:
Post a Comment