Sardar Patel Prerak Prasang - Indian heroes

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Tuesday 31 October 2017

Sardar Patel Prerak Prasang


सरदार पटेल एक बार संत विनोवा भावे
जी के आश्रम गये जहां उन्हें भोजन भी
ग्रहण करना था. आश्रम की रसोई में
उत्तर भारत के किसी गांव से आया कोई
साधक भोजन व्यवस्था से जुड़ा था.
सरदार पटेल को आश्रम का विशिष्ठ
अतिथि जानकर उनके सम्मान में साधक ने
सरदार जी से पूछा कि – आपके लिये
रसोई पक्की अथवा कच्ची. सरदार पटेल
इसका अर्थ न समझ सके तो साधक से
इसका अभिप्राय पूछा , तो साधक ने
अपने आशय को कुछ और स्पष्ट करते हुये
कहा कि वे कच्चा खाना खायेगे अथवा
पक्का . यह सुनकर सरदार जी ने तपाक से
उत्तर दिया कि – कच्चा क्यों खायेंगे
पक्का ही खायेंगे. खाना बनने के बाद
जब पटेल जी की थाली में पूरी, कचौरी,
मिठाई जैसी चीजें आयी तो सरदार पटेल
ने सादी रोटी और दाल मांगी. तो वह
साधक उनके सामने आकर खड़ा हो गया
और उन्हें बताया गया कि – उन्हीं के
निर्देशन पर ही तो पक्की रसोई बनायी
गयी थी.
उत्तर भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में आज
भी रोटी, सब्जी, दाल, चावल जैसे
सामान्य भोजन को कच्ची रसोई कहा
जाता है . तथा पूरी, कचौरी, मिठाई
आदि विशेष भोजन ( तला –भुना ) को
आम बोलचाल में पक्की रसोई कहा
जाता है .
इस घटना के बाद ही पटेल उत्तर भारत
की कच्ची और पक्की रसोई के फ़र्क़ को
समझ पाये . सरदार पटेल जैसी सादगी से
रहते थे वैसे ही हमेशा सादा सात्विक
भोजन लेते थे.

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