किसी राज्य में एक कुरूप व्यक्ति रहता था लोग उसे मनहूस कहते थे (पुरे राज्य में उसके बारे में ऐसा कहां जाता था की जो सुबह के समय इसका मुंह देखता हैं उसका पूरा दिन खराब जाता हैं.
एक दिन राजा ने सोचा कि क्यों न इस बात की परीक्षा की जाये कि क्या वास्तव मे सुबह-सुबह इसकी सुरत देखने वाले को खाना नसीब नहीं होतां.
राजा ने उसे बुलाकर सम्मान सहित अपने बगल वाले कमरे में ठहरा लिया. उस दिन उसकी खुब खातिरदारी की गई. अगले दिन राजा सो कर उठा तो सबसे पहले उसने उस मनहूस के कमरे में जाकर उसका चेहरा देखा.
संयोग से उस दिन राजा कामकाज में इस तरह उलझा कि उस दिन उसे दोपहर तक खाना खाने का भी समय नहीं मिला.
दोपहर बाद उसे फुुर्सत मिली तो वह खाना खाने बैठा मगर अभी उसने रोटी को पहला ग्रास तोडा ही था कि उसे खबर मिली की महारानी सीढ़ियों से गिर गई है. राजा खाना छोडकर रानी की खबर लेने भागा इस तरह रात हो गई.
रात को जैंसे ही उसे फूर्सत मिली तो उसने सोचा कि लोग ठीक ही कहते हैं कि जो सुबह-सुबह इस मनहूस का चेहरा देखता हैं उसे खाना नसीब नहीं हाता. उसने फौरन हुक्म दिया कि कल सुबह होते ही मनहूस को फांसी पर लटका दिया जाये.
सिपाही फौरन उसे पकडकर कारागार में ले गये दूसरे दिन उसे फासी दी जाने लगी. राजा स्वयं वहां उपस्थित था. उसने पूछा- तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा हो तो बताओं ?
मनहूस कुरूप भले ही था मगर था बडा सुझबुझ वाला वह बोला – महाराज मेरी अंतिम इच्छा प्रजा को एक राज की बात बताने की है. कैसी राज की बात ?
राजा ने कडकर पूछा. मैं प्रजा को यह बताना चाहता हूं कि यह सच हें कि मैं मनहूस हूं और सुबह मेरी सुरत देखने वाले को खाना नसीब नहीं होता मगर महाराज तो मुझसे भी अधिक मनहूस हैं क्योंकि उनकी सुरत देखने वाले को फासी पर लटकाया जाता है.
यह सुनते ही राजा चोंका इस विषय पर तो उसने कभी सोचा ही नहीं था कि उस मनहूस ने आज सवेरे सबसे पहले उसकी ही शक्ल देखी थी. उसने उसे फौरन रिहा करवा दिया.
और कहा कि यह बात किसी को मत बताना. इसलिए कोई भी निर्णय खुब सोच विचार कर लेना चाहिए. कोई भी निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए.
दूसरी बात यह कहानी इशारा करती हैं उन लोगो पर जो की ऐसा सोचते हैं की किसी व्यक्ति का चेहरा देखने से पूरा दिन खराब जाता हैं. यह पूरी तरह से गलत हैं. ऐसा नही होता हैं.
असल बात यह होती हैं की उस व्यक्ति के पीछे जो आपकी धारणा बन जाती हैं वही आपका दिन खराब कर देती हैं. आप अपने पुरे मन से यह कहते हैं की इस व्यक्ति की सूरत देखने से ऐसा होता हैं, यह बात आपके अंदर घर कर जाती है और यह एक धारणा बन जाती हैं फिर आपके साथ ऐसा ही होने लगता हैं.
जरा सोचिये उदाहरण के लिए आप भी इस बात को आजमा सकते हैं. आपको जिस व्यक्ति के बारे में ऐसा लगता हैं की इसकी शक्ल देखने पर पूरा दिन खराब जाता हैं.
तो एक अनजान व्यक्ति को खोजे जो की उस व्यक्ति को जानता तक नहीं हो और उसे उस व्यक्ति की शक्ल देखने के परिणाम के बारे में भी मत बताये बल्कि ऐसा कहे की इसकी शक्ल देखने से पूरा दिन गजब का हो जाता हैं.
फिर जब यह व्यक्ति उस व्यक्ति की शक्ल देखेगा तो उसका दिन आपकी तरह नहीं बीतेगा यह एक रहस्य हैं आप खुद ऐसे Try कर सकते हैं.
इस दुनिया में जो भी हमारे साथ होता हैं फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा वह सब हमारी धारणाओ के कारण होता हैं. अपनी धारणा बदलो, अपनी सोच बदलो तो पल भर में जीवन बदल जाएगा.
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