भीमराव अंबेडकर भारत के पहले क़ानून मंत्री - Indian heroes

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Saturday, 24 December 2016

भीमराव अंबेडकर भारत के पहले क़ानून मंत्री



देश विभाजन की त्रासदी से गुजर रहा था । हालात इतने डरावने व पेचीदा थे कि कांग्रेस को अकेले ही सरकार चलाना कठिन हो रहा था । इसलिए उन्होंने गैर कांग्रेसी नेताजी का सहयोग लेने का निश्चय क्रिया । पंडिंत नेहरू ने बाबा साहब से मंत्रीमंडल में शामिल होने की प्रार्थना की, परिणामस्वरूप बाबा साहब स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने।
एक बार पंडिंत जवाहरलाल नेहरू से एक पत्रकार ने पूछा कि उनके प्रधानमंत्री काल की सबसे बड़ी प्राप्ति या सफलता क्या है? तो उनका उत्तर था, ‘हिंदू कोड बिल ।’ इस बिल (क़ानून) के शिल्पकार थे – डा. भीमराव अंबेडकर |
बाबा साहब ने अपने जीवन काल में दलितों के साथ-साथ किसानो व मजदूरों के लिए तो भरपूर संघर्ष किया ही था । कानून मंत्री के रूप में उन्होंने हिदू कोड बिल की रचना करके भारतीय नारी को समानता का अधिकार भी दिलवाया । मुसलमानों में चार से अधिक पत्नियां रखने पर बंदिश थी, परंतु हिंदुओं में ऐसी कोई बंदिश नहीं थी । चाहे कोई सौ स्त्रियो से शादी कर ले । विधवा को न तो पुनर्विवाह की अनुमति थी और न ही मृत पति की संपति में कोई अधिकार । किसी के पति को कोढ़ अथवा कोई असाध्य बीमारी हो या उसका पति नपुंसक हो, नशेडी हो, मार-पिटाई करता हो, साधु बन जाता है या व्यभिचारी हो, तो भी बेचारी पत्नी सारी उम्र उसके साथ रहने को मज़बूर थी |

भारतीय नारी को इन सब पीडाओं से मुक्ति दिलाने के लिए के लिए बाबा साहब ने हिंदू कोड बिल संसद में पेश किया, तो समस्त रूढिवादी हिंदू-जगत बौखला उठा । कहा गया कि हिंदू कोड बिल हिंदू परंपराओं और रीतियों का सर्वनाश कर देगा। इससे हिंदू समाज नष्ट हो जाएगा। बाबा साहब ने मधुमेह से पीडित होते हुए भी प्रतिद्वंदियो को पर्याप्त जवाब दिए । खराब सेहत के बावजूद कठोर परिश्रम करके भिन्न-भिन्न ग्रंथों से से प्रमाण इकट्ठे किए | बाबा साहब ने इस बिल के प्रति हिंदुओं की हठधर्मिता देखते हुए सितंबर 1951 को कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया । परंतु बाद में यही बिल अगली लोकसभा ने पारित कर दिया।
इस प्रकार बाबा साहब ने भारतीय नारी को संपति का अधिकार दिलवाया, तलाक का अधिकार दिलाया, पुनर्विवाह का अधिकार दिलवाया व विधवा को भी विवाह का अधिकार दिलवाया । किसी भी बालक को गोद लेने की व्यवस्था भी बनाईं । इन अधिकारो के लिए भारतीय नारी बाबा साहब की सदा ऋणी रहेगी।
इससे पहले ब्राह्मणों ने शूद्रों व दूसरे वर्गो के लिए धर्मशाश्त्र में कानून बनाए, जिससे हिंदू समाज टुकड़े-टुकड़े हुआ और सत्यानाश हुआ । अब एक अछूत नेता ने ऐसे कानून बनाए, जो समूचे हिंदुओं को एक सामाजिक और क़ानूनी सूत्र में बांधते है और उससे किसी भी वर्ग के हिंदू को हानि नहीं पहुंचेगी।  हिन्दुओ के इतिहास में पहली बार पर्सनल लॉ बनाया गया ।

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