भीमराव अंबेडकर का बैरिस्टर बनना - Indian heroes

Post Top Ad

Thursday, 29 December 2016

भीमराव अंबेडकर का बैरिस्टर बनना





          डॉ. अंबेडकर ने भारत लौटने के पश्चात वकालत करने का  निश्चय किया क्योंकि  वकालत करते  हुए उन्हें जनता  की सेवा करने का अवसर प्राप्त हो सकता था और साथ ही जीवन निर्वाह के  साधन उपलब्ध  हो  सकते थे ।  यहाँ भी अछूत का लेबल  उनके साथ  लगा  रहा । साथी  वकील  उन्हें पूर्ण आदर सम्मान नहीं  देते  थे, कई  उनका  मजाक उडाते उन पर व्यंग्य करते और उनके साथ किसी प्रकारका भी सहयोग करना पाप समझते । कुछ जज भी डॉ. अंबेडकर से ईर्ष्या करते थे। भाँति भाँति  की कठिनाइयो  के होते  हुए भी एक  वकील के रूप में डा. अंबेडकर  के पांव जमने लगें। डॉ. अंबेडकर  के पास एक बहुत  ही  मह्रत्वपूर्ण  केस  आया । तीन   लेखकों बग्दे, जेधे व जवल्कर ने ‘देश के दुश्मन” नाम से एक पुस्तक लिखी, जिसमें लेखकों ने  समाज कों जातियों में बाँटकर और छुआछूत फैला कर देश को पतन की ओर ले जाने के लिए ब्राह्मणों र्का ‘भारत का नाश  करने वाला’ कहा  और  ब्राह्मणों कों देश  का  दुश्मन सिद्ध  किया । यह  भी  लिखा  कि ब्राह्मण निचली जाति वालो को पशु  से भी  निम्नतर समझते है, लोगों को गुमराह करते है, धर्म  के नाम पर पाखंड फैलाते हैं और  देश को पतन की जोर ले जाते है | इस  पर पूना के पांव  ब्राह्मणों ने लेखकों पर मान हानि  का केस दायर किया था | डॉ. आंबेडकर ने लेखकों की पैरवी की। उन्होंने  अपने  तर्को द्वारा  ब्राह्मानो  की दलीलों की धज्जियां  उडा दीं  व साबित  किया कि  लेखकों ने केवल एक सच्चाई का वर्णन किया है। ब्राह्मण  केस हार गए । इस विजय से एक बैरिस्टर के रूप में  उनकी  ख्याति दूर-दूर तक फैल गई और  बम्बई हाई कोर्ट में  उनका  नाम  चमकने  लगा ।  बम्बई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सर जोह्न बेनम पहले डॉ. अंबेडकर के साथ ईर्ष्या किया करते थे ।परंतु डॉक्टर आंबेडकर ने अपने मुकदमों के   पक्ष में अपनी विद्धतापूर्ण  दलीलों  द्धारा  अपनी योग्यता से चीफ जस्टिस का मन जीत लिया | फिर  तो  चीफ जस्टिस डॉ.अंबेडकर के केसो की सुनवाई के समय स्वयं जजों की बेंच पर  बैठने की  इच्छा करते थे । जिस  चीफ  जस्टिस  ने डा. आंबेडकर को गवर्नमेंट लॉ कॉलेज की प्रिंसीपल की नौकरी से दूर रखा था, वही डॉक्टर अंबेडकर की विद्वता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने यह पद उन्हें देने की स्वयं सिफारिश की । इस प्रकार डॉक्टर अंबेडकर एक सुलझे हुए योग्य ओर प्रमुख वकील व अछूत लोगो के नेता के रूप में स्थापित हो गये । डॉक्टर अंबेडकर की स्पष्टवादिता व विद्धता का लोहा मानते हुए बम्बई के राज्यपाल ने डॉ. आंबेडकर को बम्बई विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर दिया ।

No comments:

Post Top Ad

Your Ad Spot