बौध धम्म में चमत्कार के नाम पर बेवकूफ नहीं बनाया जाता बल्कि आपकी समस्याओं की जड़ों को समझने और सुधारने का मार्ग बताया जाता है |
बुद्ध ने कहा तुम्हे ही चलना होगा मैं तो मार्ग दाता हूँ !! विश्व जगत के बुद्ध के अनुयाई “बुद्ध के धम्म और शिक्षा” को लेकर विशेष करके के बौद्ध राष्ट्रों में कुछ ऐसे बहन-भाई है, जो बुद्ध का “आदर और प्राथना” इसलिए करते है की ‘बुद्ध’ हमारी भौतिक सुखों की कामनाये पूरी करेंगे और हमें दीर्घायु, धन, समृद्ध परिवार, यश और अच्छा स्वास्थ देंगा।
यदि हम हत्या नहीं करते, जीवन को दीर्घजीवन मिलेंगा, हम चोरी नहीं करते और क्षमता से कार्य करते है, धन हमारे पास होंगा, हम व्यभिचार नहीं करते, ब्रम्हाचर्या का पालन करते है, बिनाविवाह के अभिव्यक्तिया नहीं होने देते तो हमारा परिवार साम्जस्ये और मैत्री पूर्णक बनेंगा, हम झूठ नहीं बोलते, निश्चित अछा नाम-प्रतिष्टा प्राप्त होंगी ही, हम प्रमाद (आलस्य) से विरत (दूर) रहते है तो निश्चित वर्त्तमान के प्रति हम सजग रहेंगे ही।
बुद्ध के पंचशील और 10 कुशल आचरणों के अभ्यास को निष्ठा से पालन करते है, तो हमारा आत्मविश्वास का स्तर ऊपर उठेंगा और हमें वह बिना माँगे हकीकत में प्राप्त होंगा जो हम कामनाये करते है, और वर्तमान में ही हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत क्लेशो के दु:खो से हमें मुक्ति मिलेंगी ही।
सदा ध्यान रहे बुद्धा की शिक्षाएं व्यक्ति को एक लायक बनती है की वो खुद अपनी मदत कर सके किसी पुरोहित या काल्पनिक इश्वर की जरूरत नहीं है|यही कारन है अधिकतर बुद्धा की मूर्तियों पर उनका एक कथन “अप्प देप्पो भाव” अर्थात अपना मार्ग का दीपक खुद बनो लिखा होता है |
यदि मैं ब्राह्मण धर्म की ही भाषा में समझाउ तो इश्वर भी उसकी मदत नहीं करता जो खुद अपनी मदत को संगर्ष नहीं करता|
ईश्वर और शैतान एक ही कल्पना के दो नाम हैं जिसे हर देश का पुरोहित वर्ग अपनी आजीविका और श्रेष्ठता सुनिश्चित करने हेतु वक्त और जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं|
ओशो ने बिलकुल ठीक कहा है “इश्वर समाधान नहीं सबसे बड़ी समस्या है”
बुद्ध ने कहा तुम्हे ही चलना होगा मैं तो मार्ग दाता हूँ !! विश्व जगत के बुद्ध के अनुयाई “बुद्ध के धम्म और शिक्षा” को लेकर विशेष करके के बौद्ध राष्ट्रों में कुछ ऐसे बहन-भाई है, जो बुद्ध का “आदर और प्राथना” इसलिए करते है की ‘बुद्ध’ हमारी भौतिक सुखों की कामनाये पूरी करेंगे और हमें दीर्घायु, धन, समृद्ध परिवार, यश और अच्छा स्वास्थ देंगा।
यदि हम हत्या नहीं करते, जीवन को दीर्घजीवन मिलेंगा, हम चोरी नहीं करते और क्षमता से कार्य करते है, धन हमारे पास होंगा, हम व्यभिचार नहीं करते, ब्रम्हाचर्या का पालन करते है, बिनाविवाह के अभिव्यक्तिया नहीं होने देते तो हमारा परिवार साम्जस्ये और मैत्री पूर्णक बनेंगा, हम झूठ नहीं बोलते, निश्चित अछा नाम-प्रतिष्टा प्राप्त होंगी ही, हम प्रमाद (आलस्य) से विरत (दूर) रहते है तो निश्चित वर्त्तमान के प्रति हम सजग रहेंगे ही।
बुद्ध के पंचशील और 10 कुशल आचरणों के अभ्यास को निष्ठा से पालन करते है, तो हमारा आत्मविश्वास का स्तर ऊपर उठेंगा और हमें वह बिना माँगे हकीकत में प्राप्त होंगा जो हम कामनाये करते है, और वर्तमान में ही हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत क्लेशो के दु:खो से हमें मुक्ति मिलेंगी ही।
सदा ध्यान रहे बुद्धा की शिक्षाएं व्यक्ति को एक लायक बनती है की वो खुद अपनी मदत कर सके किसी पुरोहित या काल्पनिक इश्वर की जरूरत नहीं है|यही कारन है अधिकतर बुद्धा की मूर्तियों पर उनका एक कथन “अप्प देप्पो भाव” अर्थात अपना मार्ग का दीपक खुद बनो लिखा होता है |
यदि मैं ब्राह्मण धर्म की ही भाषा में समझाउ तो इश्वर भी उसकी मदत नहीं करता जो खुद अपनी मदत को संगर्ष नहीं करता|
ईश्वर और शैतान एक ही कल्पना के दो नाम हैं जिसे हर देश का पुरोहित वर्ग अपनी आजीविका और श्रेष्ठता सुनिश्चित करने हेतु वक्त और जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं|
ओशो ने बिलकुल ठीक कहा है “इश्वर समाधान नहीं सबसे बड़ी समस्या है”
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