जीभ अच्छी भी और बुरी भी - Indian heroes

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Friday 10 November 2017

जीभ अच्छी भी और बुरी भी

शेख का आदेश और लुकमान की समझ

प्राचीनकाल में अरब में आमिर लोग निर्धनों को खरीदकर गुलाम बनाकर रखते थे | ऐसा ही एक गुलाम था लुकमान | लुकमान अपने मालिक ( जो एक शेख था ) के प्रति अत्यंत वफादार था | वह अपने मालिक की हर प्रकार से सेवा करता था |
लुकमान बुध्दिमान भी था | यह बात शेख को भी पता थी और इसलिए वह लुकमान से जब-तब तर्कपूर्ण चर्चाएं करता था | वह अक्सर लुकमान से विचित्र प्रश्न पूछकर उसके ज्ञान की परीक्षा लेता और लुकमान भी उसे कभी निराश नहीं करता था |
एक बार शेख ने उससे कहा – लुकमान ! जाओ बकरे का जो श्रेष्ठ अंग हो, उसे काटकर ले आओ | लुकमान गया और तुरंत बकरे की जीभ काटकर ले अाया | शेख ने पुन: उसे आदेश दिया अब जाकर बकरे का वह आंग लेकर आओ, जो सबसे बुरा है | लुकमान तुरंत गया और थोड़ी देर बाद एक अन्य बकरे की जीभ काटकर ले आया |
यह देख कर शेख ने कहा यह क्या, इस बार भी तुम बकरे की जीभ काट लाए ? लुकमान ने जवाब दिया मालिक ! शरीर के अंगो में जीभ ही ऐसी है जो सबसे अच्छी भी और बुरी भी | यदि जीभ से उत्तम वाणी बोली जाए तो यह सभी को अच्छी लगती है और उसी से कटु वचन बोले जाएं तो यह सबको बुरी लगने लगती है | शेख एक बार फिर लुकमान की बुद्धि का कायल हो गया |

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