"हम डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्य से प्रेरणा लेकर अपना संघर्ष भी उन्हीं आधारों पर चलायेंगे जिन आधारों पर डॉ. अंबेडकर ने भारत में समाज परिवर्तन का प्रयत्न किया और सफलता पायी।"
—नेल्सन मंडेला
"हर व्यक्ति अपनी निहित क्षमता को हासिल कर सकता है। ठीक उसी तरह, जिस तरह एक दलित होने के बावजूद डॉ. अंबेडकर ने अपनी क्षमतानुरूप कार्य करते हुए, अपने आप को इतनी ऊंचाइयों पर उठाया और एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो सारे भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करता है।"
—बराक ओबामा
"डॉ. अंबेडकर एक ऐसे विद्वान है और सुविद्या वकील भी है कि उनके सामनें अनकों को सर्मचार हो जाना पडता है। वे अपनी प्रचूर विद्वता से अनेकों के ह्रदयों को छूने का सामर्थ्य रखते है। उनके त्याग की परिसीमा बहुत व्यापक है, वे अपने कार्य में तहीनता के साथ डूब जाते है। वे चाहे तो कभी भी युरोप में जाकर बस सकते है, मगर वे उसकी चाहत नहीं रखते। अपने हरीजनों (दलितों) का उत्थान करना ही उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य रहा है। उन्हे बार बार शोषित एवं अछूत वर्ग के व्यक्ती होने के नाते ही संबोधित किया जाता है, लेकिन बुद्धिमत्ता की कसौटी पर वे हजारों सुशिक्षीत हिंदू विद्वानों से भी श्रेष्ठ दर्जे के विद्वान है। उनका निजी जीवन किसी भी उच्च दर्जे के निर्मल एवं स्वच्छ व्यक्ति से कम नहीं है। आज की तारिख में वे कानून के एक सुविख्यात विधिवेत्ता है, कल वे किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायधीश भी बन सकते। दुसरें शब्दों में इस देश के शासन - प्रशासन में ऐसा कोई भी पद नहीं हैं, जिसपर वे आसीन न हो सकें।"
—मोहनदास करमचंद गांधी
"डॉ. अंबेडकर को भारतीय हिन्दू समाज के तमाम अत्याचारी स्वरूपों के खिलाप एक विद्रोह के प्रतिक क् रूप में याद किया जायेगा। उन उत्याचारी स्वरूपों के खिलाप जो आवाज उन्होंने बुलंद की है, उससे लोगों के दिल-दिमागों को झकझोर कर जागृत कर दिला है। यद्यपी उन्हें एक विवादास्पद व्यक्ति के तौर पर जाना जाता हो लेकिन वास्तविकता यहीं हैं की उन्होंने देश के शासन प्रशासन के प्रत्येंक मुद्दो पर बगावत की है उन मुद्दों पर हर किसीने बगावत करनी चाहिए। डॉ. अंबेडकर इसलिए भारत के अति विशिष्ट लोगों में भी एक असामान्य एवं श्रेष्ठतम व्यक्तिमत्व थे।"
—जवाहरलाल नेहरू
"डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने बौद्ध धर्म एक ऐसा मजबूत खंभा भारत की भूमी पर गाढ दिया हैं कि जिसे अन्य कोई भी हिला नहीं सकेगा"
—राहुल सांकृत्यायन
"डॉ. आंबेडकर अर्थशास्त्र में मेरे पिता है।"
—अमर्त्य सेन
"डॉ. आंबेडकर निर्वीवाद रूप से एक ऐसे दैदिप्यमान व्यक्तिमत्व थे जिन्होंने जम्बुमहाद्विप भारत के इतिहास में अपना ऐतिहासीक योगदान दिया है, और यह योगदान उन्होंने ऐसे समय पर दिया जब भारत एक बदलती हुयी परिस्थीतियों के बीच यहां की सामाजिक संरचना और जीवन पर अपना महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा था।"
—व्ही. एन. यू. (बर्मा के भू.पू. प्रधानमंत्री)
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