बीत गई कई सहस्राब्दियाँ
जब आये थे बुद्ध … बताने -सर्वं दुखं दुखं …
अनुभवों और तपस्याओं से गुजर कर एक राजकुमार
बन गया महात्मा बुद्ध
प्रतीत्यसमुत्पाद की गुत्थी सुलझाते हुए
बताया माध्यम मार्ग जीवन का दो अतियों के बीच से
कृपा की जगह करुणा का पाठ पढाने
सैकड़ों जन्म लेकर वह बोधिसत्त्व
धर्म को
स्वर्ग से उतार कर लाया मनुष्यों की धरती पर
दुरूह वैदिक मन्त्रों से मुक्त करा कर
लोक भाषा में
तत्त्व-कथाओं को बीन-बीन कर निकाला
श्रद्धा की थाली से
दांत के नीचे आने वाले कंकडों की तरह …..
उसी बुद्ध का जन्म दिन है आज
आओ … शपथ लें कि छोड़ देंगे दुरुहता को
पहुंचेंगे जन-मन तक ….
प्रस्तुतकर्ता रवीन्द्र दास
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