अगर आजादी चाहते हो तो पहले मरना सीखो ll
============ ,,==============
एक गांव में एक आदमी अपने प्रिय तोते के साथ रहता था, एक बार जब वह आदमी किसी काम से दूसरे गांव जा रहा था, तो उसके तोते ने उससे कहा – मालिक, जहाँ आप जा रहे हैं वहाँ मेरा गुरु-तोता रहता है. उसके लिए मेरा एक संदेश ले जाएंगे ? क्यों नहीं ! – उस आदमी ने जवाब दिया, मेरा संदेश है, तोते ने कहा – आजाद हवाओं में सांस लेने वालों के नामएक बंदी तोते का सलाम | वह आदमी दूसरे गांव पहुँचा और वहाँ उस गुरु-तोते को अपने प्रिय तोते का संदेश बताया, संदेश सुनकर गुरु-तोता तड़पा, फड़फड़ाया और मरगया | जब वह आदमी अपना काम समाप्त कर वापस घर आया, तो उस तोते ने पूछा कि क्या उसका संदेश गुरु-तोते तक पहुँच गया था, आदमी ने तोते को पूरी कहानी बताई कि कैसे उसका संदेश सुनकर उसका गुरु – तोता तत्काल मर गया था |
यह बात सुनकर वह तोता भी तड़पा, फड़फड़ाया और मर गया | उस आदमी ने बुझे मन से तोते को पिंजरे से बाहर निकाला और उसका दाह-संस्कार करने के लिए ले जाने लगा, जैसे ही उस आदमी का ध्यान थोड़ा भंग हुआ, वह तोता तुरंत उड़ गया और जाते जाते उसने अपने मालिक को बताया – मेरे गुरु-तोते ने मुझे संदेश भेजा था कि अगर आजादी चाहते हो तो पहले मरना सीखो . . . . . . . . बस आज का यही सन्देश कि अगर वास्तव में आज़ादी की हवा में साँस लेना चाहते हो तो उसके लिए निर्भय होकरमरना सीख लो . . . क्योकि साहस की कमी ही हमें झूठे और आभासी लोकतंत्र के पिंजरे में कैद कर के रखती है l
आज़ादी मुफ्त में नहीं मिलती इसके लिए क़ुरबानी देनी होती है| बाबा साहब आंबेडकर ने कहा है
“वही कौम तरक्की करती है जिसमें क़ुरबानी देने वाले होते हैं क़ुरबानी दो आगे बढ़ो”
क़ुरबानी तो देनी ही पड़ेगी अपनी इच्छा से दोगे तो कौम का भला नहीं तो दलित दमन कर के जबरदस्ती तो ले ही ली जाती है| क़ुरबानी का मतलब केवल मरना मारना नहीं है बहुत से चीजें है जैसे अपना समय, धन, उर्जा, विचारों का फैलाव, नै नीति बनाना और उसे चलाना,दुनिया की चक चौंध का मोह छोड़कर पढाई करना और जबरदस्त कामयाबी हासिल करना,धम्म प्रचार करना,धम्म और आंबेडकर वाद की किताबें खरीद कर बाटना,बौद्ध सत्संग करवाना,केडर केम्प करवाना,राजनीति में आना,अविहित रहक कौम के लिए धम्म के लिए आगे आना अदि अनेकों ऐसे रास्ते हैं जहाँ से क़ुरबानी दी जा सकती है| बाबा साहब आंबेडकर चाहते तो उनके पास इतनी उची शिक्षा थी की वो अपना जीन बहुत ऐशों आराम से किसी बहुत बड़े ओहदे पर काट सकते थे पर क्योंकि उन्होंने क़ुरबानी दी उनका परिवार दरिद्रता से गुज़रा तब जाकर आज बहुजनों के हालात बदले हैं|
No comments:
Post a Comment