सेवा धर्म स्वामी विवेकानंद का प्रेरक प्रसंग | Seva Dharm Swami Vivekanand Prerak Prasang - Indian heroes

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Friday, 3 November 2017

सेवा धर्म स्वामी विवेकानंद का प्रेरक प्रसंग | Seva Dharm Swami Vivekanand Prerak Prasang




Seva Dharm Swami Vivekanand Prerak Prasang : एक दिन एक साधु स्वामी विवेकानंद के पास आया. वह चिंतित प्रतीत हो रहा था. अभिवादन करने के उपरांत उसने अपनी व्यथा स्वामी जी को सुनाई, “स्वामी जी! मुझे शांति नहीं मिलती. मैंने सब कुछ त्याग दिया है. मोह माया के बंधनों से मुक्त हो गया हूँ. फिर भी मन सदा भटकता रहता है. एक दिन मैं अपने एक गुरू के पास गया. मेरी व्यथा सुनकर उन्होंने मुझे एक मंत्र दिया और कहा कि उसके जाप से मुझे अनहदनाद सुनाई देगा और मेरा मन शांत हो जायेगा. मैंने उस मंत्र का जाप करने पर भी मुझे शांति नसीब नहीं हुई. मैं बहुत परेशान हूँ स्वामी जी. आप कुछ समाधान बताइये.” कहते हुए उस साधु की आँखें नम हो गई.
स्वामी जी बड़े ध्यान से उसकी बातें सुन रहे थे. बात समाप्त होने पर उन्होंने पूछा, “मान्यवर! क्या आप वास्तव में शांति चाहते है?”
“जी स्वामीजी! इसी आस में मैं आपके पास आया हूँ.” साधू ने उत्तर दिया.
“तो ठीक है. मैं तुम्हें शांति प्राप्त करने का सरल मार्ग बताता हूँ. यह जान लो कि सेवा धर्म महान है. घर से निकलो. बाहर जाकर भूखों को भोजन दो. प्यासों को पानी पिलाओ. विद्यारहितों को विद्या दो. दीन, दुखियों, दुर्बलों और रोगियों की तन, मन एवं धन से सेवा करो. सेवा द्वारा मनुष्य का अंतःकरण शांत होता है. ऐसा करने से आपको सुख और शांति प्राप्त होगी.”
स्वामी विवेकानंद की बात साधु के मन में बैठ गई. वह एक नए संकल्प के साथ वहाँ से चला गया. उसे समझ आ गया था कि मानव जाति कि निःस्वार्थ सेवा से ही मनुष्य को शांति प्राप्त हो सकती है.

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