*हम लोग अब निम्न प्रकार मिशन अम्बेडकर को आगे बढ़ाएंगे।*
शिक्षा के अभाव में मति(बुद्धि)गई, मति के अभाव में नीति गई,नीति के अभाव में गति(विकास की रफ्तार) गई, गति के अभाव में वित्त (धन)गया। और वित्त के अभाव में शुद्र समाज मनुवादियों का गुलाम बनकर रह गया और ये सब शिक्षा के अभाव में हुआ। यह कहना था सच्चे राष्ट्रपिता महामानव ज्योतिराव फुले का।आज भी मनुवादी लोगों का कहना है कि इन बेवकूफ, मूर्ख शूद्रों को टका देदो लेकिन ज्ञान(शिक्षा) मत दो।जबकि बाबा साहब अम्बेडकर का कहना था कि शिक्षा अति महत्वपूर्ण है और उन्होंने पढ़े लिखे लोगों को जिम्मेदारी सौंपी थी कि समाज को शिक्षित करो, संगठित करो और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करो, उनका यह भी कहना था कि अधिकार मांगने से नहीं मिलते हैं उन्हें तो छिना जाता है और छिनने के लिए सामने वाले से अधिक ताकतवर बनना पड़ता है।
ताकतवर बनने के लिए 7 प्रकार का बल जुटाना पड़ता है,इन 7 बलों पर हमें भी विचार करना होगा,जो निम्न प्रकार से हैं।
1,बाहुबल( पोष्टिक एवं संतुलित भोजन लेना, नशा एवं धूम्रपान छोड़ना, आलस्य को त्यागना।)
2,अशस्त्र बल( आत्म सुरक्षा के लिए)
3,शस्त्र बल(सरकार से लाईसेंस लेकर आत्म सुरक्षा के लिए)
4, बुद्धि बल( अच्छी और पूर्ण शिक्षा प्राप्त करना।)
5,धनबल(सभी को रोजगार दिलाना।)
6,जनबल(समाज के लोगों द्वारा एक साथ मिलकर एक रणनीति तैयार करना।)
7, मनोबल( भाग्य को नकारना और अपने कर्म पर विश्वास करना।)
उपरोक्त सभी प्रकार के बल प्राप्त करने के लिए बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा स्थापित सामाजिक संगठन समता सैनिक दल की विद्यार्थी विंग एक जोरदार तरीके से अभियान शुरू करने जा रही है जो कि निम्न प्रकार होगा।
शिक्षित करो। संगठित करो। संघर्ष करो
अंबेडकर शिक्षा केंद्र की स्थापना।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बाबा साहब अम्बेडकर ने 18 डिग्रियां हासिल कर विश्व के सबसे अधिक शिक्षित एवं सर्वश्रेष्ठ विद्वान बने,उन्हें विश्व की महा शक्ति अमेरिका द्वारा भी ज्ञान का प्रतीक घोषित किया जा चुका है एवं विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के संविधान को लिखकर उन्होंने अपनी विद्वता को सिद्ध करके भी दिखा दिया था । बाबा साहेब का मानना था कि समाज को शिक्षित करना सबसे महत्वपूर्ण काम है,क्योंकि शिक्षा से ज्ञान मिलता है, ज्ञान से व्यक्ति विद्वान बनता है तथा विद्वान व्यक्ति को सभी जगह सम्मान मिलता है तथा शिक्षित व्यक्ति अपने अधिकारों को जान सकते हैं और उनके लिए संघर्ष करने के लिए समाज का नेतृत्व कर सकेंगे । बाबा साहेब का कहना था कि सौ वर्ष अपमान भरे जीवन से सम्मानपूर्वक दो दिन का जीवन जीना बेहतर है,एवं शिक्षा इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, शिक्षा शेरनी का वो दुध है जिसे कोई भी पियेगा तो वह दहाड़ेगा एवं शेर की तरह दहाड़ने वाले का अपमान करने की कोई भी हिम्मत नहीं जुटा पाता है। इसीलिये बाबा साहब का बार बार यही कहना था कि यदि आप मेरा सच्चा सम्मान करना चाहते हो तो समाज को शिक्षित करो
बाबा साहेब की विचारधारा को जन जन तक पहुँचाने के लिए आप बामसेफ एंव RMS से जुङकर समाज मे जागृति का काम करे ।
जय भीम जय मूलनिवासी
भैरूलाल नामा
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