भीमराव बम्बई के एल्फ़ींसटोन कॉलेज में प्रविष्ट हो गए । एक अछूत का कॉलेज में प्रविष्ट होना उस समय एक अनहोनी सी बात थी । सूबेदार रामजीराव सकपाल की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी धी। उनमें भीमराव को अब शिक्षा दिलवाने का सामर्थ्य नहीं रहा था । ऐसा लगता था कि अब सूर्य को चमकने का अवसर नहीं मिलेगा । ऐसे में मास्टर कृष्णा जी अर्जुन केलुसकर एक सच्चे सहायक के तोर पर सामने आएं । महाराजा बड़ोदा ने परिशर्मी व योग्य छात्रो को आर्थिक सहायता की घोषणा कर रखी थी | मा. केलुसकर जी भीमराव को महाराज सयाजिराव गायकवाड़ के पास ले गये | महाराज ने भीमराव से कुछ प्रश्न पूछे, जिनका उन्होने ठीक ठीक उत्तर दिया | अतः महाराजा गायकवाड़ ने भीमराव की उच्च शिक्षा के लिए 25 रुपये मासिक छात्रवृति स्वीकृत कर दी |
छुआछूत की लानत ने कालेज मे भी उनका पीछा नही छोड़ा | कालेज की कॅंटीन का मलिक एक ब्राह्मण था | इस लिए भीमराव अंबेडकर को कॅंटीन से चाय तो क्या पानी भी नही दिया जाता था | परन्तु अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर भीमराव आंबेडकर हिंदू घर्म की रूढिवादित्ता की ओर से किए गए अपमान और निरूत्साहन का मुकाबला करते हुए विद्या प्राप्ति के पर्वत घाटिया लाँघते गए । 1912 में उन्होंने फारसी और अग्रेजी विषयों के साथ बम्बई यूनिवर्सिटी से बीए की परीक्षा पास की । वे ग्रेजुएट बनने वाले पहले अछूत थे।
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