हमारी मुक्ति केवल मानव और इश्वर के सम्बन्ध की चर्चा से नहीं होगी|क्या आप कभी ये नहीं सोचते की बौद्ध साम्राज्य के पतन से लेकर आंबेडकर क्रांति के बीच के लगभग दो हजार सालों में कोई भी इश्वर बहुजनों को बचने क्यों नहीं आया, क्यों उस इश्वर ने इतनी सदियों तक अपने मानवों की सुध नहीं ली| इश्वर का सिद्धांत निसंदेह व्यावहारिक रूप से जरूरी है आम जनता कभी ईश्वरवाद को नहीं छोड़ पायेगी पर बौध धम्म में ईश्वरवाद का प्रश्न तो अव्याकृत प्रश्न है| आप मनो या न मानो ये आपकी इच्छा है बौध धम्म मार्ग में इस प्रश्न का कोई महत्व नहीं| इसके आलावा बौध धम्म में बाकि की बहुत से बातें ऐसी हैं जो बहुजन गुरुओं से कहीं ज्यादा आगे का दर्शन ज्ञान और मार्ग उपलब्ध करते हैं| बहुजन गुरुओं को छोड़ना नहीं है बल्कि हमें बस इतना समझना है की उनका ज्ञान जिस भी बिंदु पर संशयात्मक स्तिथि पैदा करता है वहां बुद्धा धम्म ज्ञान हर संशय का संतुस्ठ उत्तर उपलब्ध करता है|बहुजन गुरुओं और बौध धम्म दोनों एक दुसरे के पूरक हैं दोनों ही हमारा मार्गदर्शन करवाते हैं |
अपने आप को कहीं भी सीमित न करो, अगर वाकई अपना उद्धार करना है तो सारा दर्शन खंगाल डालो यहाँ तक की सभी अन्य धर्म के सभी ग्रन्थ भी और तभी आप फैसला कर पाओगे की क्या सही है क्या गलत|
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