सूबेदार रामज़ीराव एक परिश्रमी, चुस्त और उदार हृदय व्यक्ति थे | वह बोधिक रूप से बहुत सशक्त और उधमी थे | रामज़ीराव सकपाल सेना मे सिपाही के पद पर भर्ती हुवे और बाद मे अपनी मेहनत और लग्न के बल पर उन्नति करते हुवे सूबेदार मेजर के पद पर पहुचे|अतः लोग उन्हे रामज़ीराव सकपाल के नाम से ही पुकारते थे|
सूबेदार रामज़ीराव महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबावाड़े नामक छोटे से गाँव के मूल निवासी थे|सॅन 1891 मे सूबेदार रामज़ीराव सकपाल मध्यप्रदेश के इन्दोर जिले की सैनिक छावनी मिल्ट्री हेडक्वाटर ऑफ वॉर महू मे तैनात थे | वही पर 14 अप्रैल 1891 को बालक भीम का जन्म माता भीमाबाई की कोख से हुआ |
25 वर्ष की सेवा के बाद सन 1894 मे सूबेदार रामज़ीराव सेना से रिटायर होकर परिवार सहित बंबई मे आकर रहने लगे | बालक भीम लगभग पाँच वर्ष के थे तभी गंभीर बीमारी के कारण माता भीमबाई का देहांत हो गया था| अल्पायु मे ही बालक भीम अपनी माता की मृत्यु पर कई दिन तक शोकाकुल रहे और जब भी माता की याद आती, देर तक रोते रहते |
सूबेदार रामज़ीराव महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबावाड़े नामक छोटे से गाँव के मूल निवासी थे|सॅन 1891 मे सूबेदार रामज़ीराव सकपाल मध्यप्रदेश के इन्दोर जिले की सैनिक छावनी मिल्ट्री हेडक्वाटर ऑफ वॉर महू मे तैनात थे | वही पर 14 अप्रैल 1891 को बालक भीम का जन्म माता भीमाबाई की कोख से हुआ |
25 वर्ष की सेवा के बाद सन 1894 मे सूबेदार रामज़ीराव सेना से रिटायर होकर परिवार सहित बंबई मे आकर रहने लगे | बालक भीम लगभग पाँच वर्ष के थे तभी गंभीर बीमारी के कारण माता भीमबाई का देहांत हो गया था| अल्पायु मे ही बालक भीम अपनी माता की मृत्यु पर कई दिन तक शोकाकुल रहे और जब भी माता की याद आती, देर तक रोते रहते |
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