भीमराव अंबेडकर का स्कूल मे दाखिला - Indian heroes

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Saturday 17 December 2016

भीमराव अंबेडकर का स्कूल मे दाखिला

            बालक भीम जब पाँच वर्ष के हुवे तो पिता  सूबेदार रामज़ीराव सकपाल उन्हे एक ब्राह्मण प्रिन्सिपल के स्कूल मे लेकर गये | प्रिन्सिपल साहेब गोल  मटोल सुंदर बालक  को देखकर खुश हुवे|उन्होने प्रवेश पत्र भरना शुरू किया|जाती के  कालम  मे लिखने  के  लिए  उन्होने  सूबेदार  रामज़ीराव सकपाल जी से जाती पूछी | रामज़ीराव सकपाल जी ने बड़े संकोच से कहा, ‘म..हा..र..’|उस समय भारतवर्ष मे छुआछूत का तांडव जारी था | अछूत के लिए  शिक्षा के द्वार  बंद  थे| प्रिन्सिपल ने गुस्से मे प्रवेश पत्र के टुकड़े- टुकड़े कर दिए और चपरासी को  बुलाकर आदेश  दिया की  इसको धक्के  देकर बाहर निकाल दो… इसकी हिम्मत कैसे हुई यहाँ तक आने की | चपरासी ने आदेश का तुरंत  पालन किया और  रामज़ीराव सकपाल  को धक्के दे दे  कर बाहर  निकालने लगा | विवश बालक  भीम कभी  अपने पिता की ओर भागकर  पिता  को बचाने  का प्रयास करता, तो कभी स्कूल के दरवाजे की  ओर भागता | इस बीच बचाव मे बालक भीम स्कूल की सीढ़ियो
 से मूह के बल बाहर जा गिरा, जिससे उसका मूह लहू लुहान हो गया | इस निर्दयी घटना से भीमराव के पिता बहुत दुखी हुवे | बालक  भीम ने माता पिता  से सवाल किया की  हमे स्कूल से धक्के देकर क्यू बाहर निकाला गया ? क्या मैं और बालको जैसा नही था? आहत माता पिता क्या जवाब देते | केवल मन मसोस कर रह गये | लेकिन रामज़ीराव सकपाल बालक  भीम को  पढ़ाने के लिए द्रढ संकल्प थे | वे  बालक भीम  को  एक अंग्रेज के स्कूल मे  दाखिला दिलाने  के लिए लेकर गये |यहाँ उनको दाखिला तो मिला, परंतु उन पर पाँच शर्ते लगा दी गयी :-
1.बिछाने के लिए भीमराव अपने घर से टाट लाएगा, जबकि बाकी बालको को टाट स्कूल से मिलता था |

2.भीमराव दूसरे बालको से लगभग 10 फीट दूर रहेगा |

3.भीमराव ब्लैकबोर्ड के निकट नही जाएगा |

4.भीमराव मटको मे से खुद अपने हाथ से पानी निकाल कर नही पिएगा | चपरासी या कोई स्वर्ण बालक ही मटके से पानी निकाल कर भीमराव को पिलाएगा |

5. भीमराव अन्य बालको के साथ खेलो मे भाग नही लेगा |

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